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1 याह की स्तुति करो, यहोवा के नाम की स्तुति करो, हे यहोवा के सेवकों तुम स्तुति करो
2 तुम जो यहोवा के भवन में, अर्थात हमारे परमेश्वर के भवन के आंगनों में खड़े रहते हो!
3 याह की स्तुति करो, क्योंकि यहोवा भला है; उसके नाम का भजन गाओ, क्योंकि यह मन भाऊ है!
4 याह ने तो याकूब को अपने लिये चुना है, अर्थात इस्राएल को अपने निज धन होने के लिये चुन लिया है।
5 मैं तो जानता हूं कि हमारा प्रभु यहोवा सब देवताओं से महान है।
6 जो कुछ यहोवा ने चाहा उसे उसने आकाश और पृथ्वी और समुद्र और सब गहिरे स्थानों में किया है।
7 वह पृथ्वी की छोर से कुहरे उठाता है, और वर्षा के लिये बिजली बनाता है, और पवन को अपने भण्डार में से निकालता है।
8 उसने मिस्त्र में क्या मनुष्य क्या पशु, सब के पहिलौठों को मार डाला!
9 हे मिस्त्र, उसने तेरे बीच में फिरौन और उसके सब कर्मचारियों के बीच चिन्ह और चमत्कार किए।
10 उसने बहुत सी जातियां नाश की, और सामर्थी राजाओं को
11 अर्थात एमोरियों के राजा सीहोन को, और बाशान के राजा ओग को, और कनान के सब राजाओं को घात किया;
12 और उनके देश को बांट कर, अपनी प्रजा इस्राएल के भाग होने के लिये दे दिया॥
13 हे यहोवा, तेरा नाम सदा स्थिर है, हे यहोवा जिस नाम से तेरा स्मरण होता है, वह पीढ़ी- पीढ़ी बना रहेगा।
14 यहोवा तो अपनी प्रजा का न्याय चुकाएगा, और अपने दासों की दुर्दशा देख कर तरस खाएगा।
15 अन्यजातियों की मूरतें सोना- चान्दी ही हैं, वे मनुष्यों की बनाईं हुई हैं।
16 उनके मुंह तो रहता है, परन्तु वे बोल नहीं सकतीं, उनके आंखें तो रहती हैं, परन्तु वे देख नहीं सकतीं
17 उनके कान तो रहते हैं, परन्तु वे सुन नहीं सकतीं, न उनके कुछ भी सांस चलती है।
18 जैसी वे हैं वैसे ही उनके बनाने वाले भी हैं; और उन पर सब भरोसा रखने वाले भी वैसे ही हो जाएंगे!
19 हे इस्राएल के घराने यहोवा को धन्य कह! हे हारून के घराने यहोवा को धन्य कह!
20 हे लेवी के घराने यहोवा को धन्य कह! हे यहोवा के डरवैयो यहोवा को धन्य कहो!
21 यहोवा जो यरूशलेम में वास करता है, उसे सिय्योन में धन्य कहा जावे! याह की स्तुति करो!
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